उत्तराखंड फायर अधिनियम 2016 में 2022 संशोधन के बाद कड़ा प्रावधान
जिला मजिस्ट्रेट को है जीवन या सम्पत्ति के लिये खतरनाक भवनों को सील करने का अधिकार
देहरादून। अस्पतालों, स्कूलों, कामर्शियल काम्प्लैक्स आदि लोगों के इक्ठ्ठे होने वाले भवनों में फायर अनुमति प्राप्त न करने पर दो साल तक की जेल की सजा या एक लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अतिरिक्त खतरनाक भवनों को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सील भी किया जा सकता है। सूचना अधिकार के अन्तर्गत पुलिस मुख्यालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह खुलासा हुआ है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी से फायर अनुमति संबंधी नियम कानूनों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी, उप निदेशक (तकनीकि) अग्निशमन एवं आपात सेवा ने उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा, अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2016 तथा उसमें संशोधन संबंधी अधिनियम 2022 की सत्यापित फोटो प्रति उपलब्ध करायी है।
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार 21 जुलाई 2022 से संशोधन के बाद उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2016 की धारा 18 के अनुसार बारह मीटर से अधिक ऊंचाई तथा 500 मीटर से अधिक कवर्ड एरिया वाले लोगों के इक्ठ्ठा होने वाले उल्लेखित कार्यों में प्रयोग होने या इस की संभावना वाले मौजूद या निर्माणधीन सभी ऐसे भवनों के लिये अग्नि सुरक्षा प्राप्त होने सम्बन्धी योजना प्राधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत की जायेगी और अनुज्ञा प्राप्त की जायेगी। ऐसा न करने पर धारा 21 के अन्तर्गत दो वर्ष तक की जेल की सजा या एक लाख रूपये तक के जुर्माने की सजा या दोनों की सजा हो सकेगी। प्रथम बार के बाद लगातार अपराध के लिये 5 हजार रूपये प्रति दिन का जुर्माना भी होगा।
धारा 18 के अन्तर्गत जिन प्रयोगों के भवनों की फायर अनुमति लेनी आवश्यक है उसमें ऐसे भवन जिनका उपयोग शारीरिक या मानसिक बीमारी, रोगों या कमजोरी से पीड़ित व्यक्तियों, बच्चों या बूढ़ों के इलाज या देखभाल करने, सुधारात्मक बंदी, दुकान, बाजार, शयनवास, होटल या किराये के लिये सुसजित कमरों वाले मकान, शैक्षिक संस्थान, सभा भवनों, मनोरंजन, सामाजिक, धार्मिक, देशप्रेम संबंधी नागरिक यात्राओं ं के लिये इकठ्ठा होना संभावित है शामिल है।
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुुसार धारा 15(4) के 2022 में संशोधन के उपरान्त 21 जुलाई 2022 से सभी आवासीय भवन जो बारह मीटर या उससे अधिक ऊंचे हैं तथा औद्योगिक व व्यवसायिक (कवर्ड एरिया 500 वर्ग मीटर से अधिक हो) है जो विस्फोटक तीव्र ज्वलनशील पदार्थों का भण्डाराण या उपयोग करते है को उपनिदेशक (तकनीकी) या मुख्य अग्नि शमन अधिकारी की संस्तुति के आधार पर मुख्य अग्नि शमन अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। इसका उल्लंघन करने पर भी धारा 21 वाली सजा ही होगी। धारा 16 के अन्तर्गतं जिला मजिस्ट्रेट को जीवन या सम्पत्ति के लिये खतरनाक प्रतीत होने वाले भवनों की रिपोर्ट प्राप्त होने पर परिसर में मौजूद लोगों को हटने, हटाने तथा भवनों को सील करने का आदेश दिया जा सकता है। धारा 23 के अन्तर्गत पुलिस या फायर सर्विस को आग लगने की झूठी रिपोर्ट जानबूझकर देने पर पांच हजार रूपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
संस्थानो में फायर अनुमति प्राप्त न करने पर हो सकती है दो साल तक की सजा
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