देहरादून। ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हाल ही में शीतकाल चारधाम यात्रा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद अब बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति और उत्तराखंड सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही है। दरअसल हाल ही में दून में आयोजित एक धर्मसभा में ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बेहद जोर देकर मुद्दे को उठाया था।
धर्मसभा में उन्होंने कहा था, श्लोगों में अब यह भ्रांतियां बन रही है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान भी दर्शन नहीं देते हैं। इस धारणा को समाप्त करने की जरूरत है। उत्तराखंड में मौजूद चारों धामों में भगवान के कपाट बंद होने का मतलब यह नहीं है कि कपाट खुलने तक भगवान दर्शन नहीं देंगे। यह केवल भगवान के दर्शन देने के स्थल हैं। कपाट बंद होने के बाद वह अपने दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। जहां उनका आशीर्वाद उतना ही प्रबल रहता है।
उन्होंने कहा था कि केदारनाथ-बदरीनाथ धाम के साथ-साथ गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में भी शीतकाल में भगवान की डोली और पूजा अर्चना अन्य जगहों पर होती है। इन जगहों को लेकर लोगों में जन जागरूकता की जरूरत है। जिस पर उन्होंने खुद भी 16 दिसंबर से अपनी शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की घोषणा की है।
अब बदरीनाथ-केदारनाम मंदिर समिति (बीकेटीसी) और उत्तराखंड सरकार भी शीतकालीन यात्रा को लेकर गंभीर नजर आ रही है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह राज्य सरकार के लिए सीधे तौर पर तीर्थ स्थान और पर्यटन से जुड़ा विषय है।
इस संबंध में बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सरकार शीतकालीन गद्दी स्थलों पर चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए मूलभूत विकास अवस्थापना के लिए कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पहले चरण के कई कार्य पूर्ण होने की ओर हैं। जैसे ही सरकार के द्वारा मूलभूत अवस्थापना कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद शीतकालीन यात्रा पर सरकार जल्द फैसला लेगी।
सरकार ने चारधाम यात्रा के शीतकालीन यात्रा को लेकर दिखाई गंभीरता
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