मलेथा में शुरू हुआ माधो सिंह भंडारी मेला
धामी ने किया शुभारंभ, कई दिग्गज रहे मौजूद
देहरादून। उत्तराखंड के कण-कण में वीरता का वास है। जिसके कारण उत्तराखंड को वीरों की भूमि भी कहा जाता है। उत्तराखंड के इतिहास में कई वीर हुए हैं। माधो सिंह भंडारी इन्हीं वीरों में से एक थे। माधो सिंह भंडारी की वीरता के साथ ही उनके बलिदान के कारण उन्हें आज भी याद किया जाता है। माधो सिंह भंडारी मलेथा गांव से ताल्लुक रखते थे। उनकी याद में आज भी मलेथा गांव में माधो सिंह भंडारी मेले का आयोजन किया जाता है। आज इस मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस दौरान देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी भी उनके साथ मौजूद रहे।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी स्मृति मेला सामान्य मेला नहीं है। ये मेला वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी के अद्वितीय पराक्रम और उनकी वीरता का प्रतीक है। ये मेला हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम करेगा कि हम ये मेला क्यों आयोजित करते हैं और वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी को क्यों याद करते हैं।
बता दें कि माधव सिंह भंडारी ने मलेथा की गुल के निर्माण के लिए अपने एक लोते पुत्र की बलि दी थी दरअसल माधव सिंह भंडारी अपने गांव में सिंचाई करने के लिए नहर का निर्माण कर रहे थे लेकिन पानी उस नहर में नही आ पा रहा था जिससे वे परेसान हो उठे एक रात जब उनके स्वप्न्न में देवी अवतरित हुई और उन्होंने कहा कि तू जब तक अपने पुत्र की बलि नही देगा तब तक नहर में पानी नही जा सकेगा वे अगले दिन उठे और उन्होंने अपने पुत्र की बलि दे दी।
वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी ने दुश्मनों को सिखाया सबक
देहरादून। पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सच्चा पराक्रम केवल शक्ति में नहीं होता है, बल्कि समाज के प्रति सेवा और समर्पण में निहित होता है कि हम समाज के लिए अपनी किस प्रकार की कुर्बानी देते हैं, ताकि समाज हमें हमेशा याद करे। उन्होंने कहा कि वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी ने एक सेनापति के रूप में विभिन्न युद्धों में भाग लिया और दुश्मनों को हराया। साथ ही उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से मलेथा में ऐसी नहर बनाई, जो आज भी इस क्षेत्र में पानी पहुंचा रही है।