देहराूदन। इस बार मानसून ने चौंकाते हुए अपने सामान्य आगमन की तिथि से पूरे 9 दिन पहले ही देशभर को अपने आगोश में ले लिया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 29 जून 2025 को मानसून ने राजस्थान के शेष हिस्सों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली को भी कवर कर लिया, जिससे यह पूरे देश में फैल गया।
पिछले 25 वर्षों में यह केवल चौथी बार है जब मानसून ने एक ही दिन में राजधानी दिल्ली और उत्तर-पश्चिम भारत के शेष हिस्सों को कवर किया है। इससे पहले यह स्थिति वर्ष 2021 में 13 जुलाई को बनी थी। मानसून का सबसे जल्दी विस्तार वर्ष 2013 में देखा गया था जब केरल से लेकर कश्मीर तक सिर्फ 16 दिन में बारिश ने पाँव पसार लिए थे। इस साल मानसून को पूरे देश में फैलने में सिर्फ 37 दिन लगे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून का जल्दी या देर से आना वर्षा की कुल मात्रा को अधिक प्रभावित नहीं करता, लेकिन इसका खेती-बाड़ी पर गहरा असर पड़ता है। खरीफ फसलों की बुवाई जैसे धान, गन्ना, मक्का और दालें मानसून पर अत्यधिक निर्भर होती हैं। जल्दी बारिश से बुवाई जल्द होती है और उत्पादन की संभावना भी बेहतर होती है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से 29 जून के बीच देशभर में सामान्य से 8ः अधिक वर्षा दर्ज की गई है। विशेष रूप से मध्य भारत में 37 प्रतिशत और उत्तर-पश्चिम भारत में 24 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे खेतों में बुवाई कार्यों को गति मिली है।
वहीं, पूर्वाेत्तर भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में वर्षा औसत से कम रही। इन क्षेत्रों में वर्षा में क्रमशः 16.7 प्रतिशत और 1.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद कृषि मंत्रालय के अनुसार अब तक 138 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है, जो कि पिछले वर्ष इसी समय के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक है।
इस बीच मौसम विभाग ने आगाह किया है कि आने वाले दिनों में उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वाेत्तर भारत के कई हिस्सों में “भारी से बहुत भारी वर्षा” हो सकती है। विशेषकर झारखंड, उत्तरी ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल में निम्न दाब वाले क्षेत्र के कारण अत्यधिक वर्षा की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र के तापमान में उतार-चढ़ाव मानसून की चाल को अधिक अनिश्चित बना रहे हैं। हालांकि, इस वर्ष मानसून की यह शुरुआती सक्रियता किसानों और जल स्रोतों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
साल-दर-साल मानसून का आगमन और कवरेज (2001ः2025)
वर्ष केरल में मानसून का आगमन पूरे देश में कवरेज
2001 23 मई 3 जुलाई
2002 29 मई 15 अगस्त
2003 8 जून 8 जुलाई
2004 18 मई 10 जुलाई
2005 5 जून 6 जुलाई
2006 26 मई 5 जुलाई
2007 28 मई 10 जुलाई
2008 31 मई 10 जुलाई
2009 23 मई 18 जुलाई
2010 31 मई 9 जुलाई
2011 29 मई 9 जुलाई
2012 5 जून 11 जुलाई
2013 1 जून 16 जून
2014 6 जून 17 जुलाई
2015 5 जून 26 जुलाई
2016 8 जून 13 जुलाई
2017 30 मई 19 जुलाई
2018 29 मई 15 जुलाई
2019 8 जून 19 जुलाई
2020 1 जून 26 जून
2021 3 जून 13 जुलाई
2022 29 मई 2 जुलाई
2023 8 जून 2 जुलाई
2024 30 मई 2 जुलाई
2025 24 मई 29 जून